जय शिव शंकर

आदित्य वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु

ज्योतिष शास्त्र मे हमारे मन को सभी दुःख सुख का कारण माना है ! जन्म से मृत्युपर्यंत हम मन के संकल्प से अपना जीवन संचालित करते है ! जिसका मन और आत्मबल मजबूत है वो जातक अपने जीवन मे आने वाली विषम परिस्थति को अपने अनुकुल बनाने मे सक्षम है !
मेरे पास जितनी भी कुंडली आती है उन सब का फलादेश मैं कुंडली मे बैठे ग्रहों को देख कर और जातक से बातचीत कर उसके आचार विचार और मानसिक बल को देख कर ही करता हूं !

हम अपने मन की शक्ति से वो सब कुछ कर सकते है जो हमारे जीवन को सुखमय बनाए !

अब आप सोच रहे होंगे की फिर कुंडली और कुंडली मे बैठे ग्रहों का क्याऽऽ ? तों इसका उत्तर है की मन को इस प्रकार से प्रशिक्षित करें की समस्या के बारे मे सोच कर 1.चिंता करें या समस्या का निराकरण करने के लिये 2.चिंतन करें और समस्या को समाप्त करने के लिये प्रयास करें !

ये दोनों विचार हमारे मन के ही है !
एक विचार हमें अवसाद की और ले जाता है !
और दूसरा विचार हमें सकारात्मक बना कर सुख प्रदान करता है !
अब मन को समझे मन के दो प्रमुख भाग हैं, एक चेतन मन और दूसरा अवचेतन मन। अवचेतन मन नौ गुना ज्यादा गहरे में होता है। दस प्रतिशत हिस्सा ही चेतन मन का होता है। हमारे सभी निर्णय चेतन मन से होते हैं, क्या करना है यह चेतन मन और कैसे करना है यह अवचेतन मन बताता है।

दिवाकर शर्मा

तारा तंत्र साधक्
काली रहस्य साधक

जय शिव शंकर

हमारे जीवन की हर एक घटना, ग्रहों की चाल का ही परिणाम है जो जन्म कुंडली के माध्यम से प्रकट होता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुल 9 ग्रह हैं (सूर्य और चंद्रमा को सम्मिलित करते हुए), जो हमारे सौरमंडल में मौजूद हैं। हमारी पृथ्वी पर जब सूर्य की किरणें आती हैं, उन किरणों में बाकी ग्रहों की ऊर्जा भी साथ लेकर आती हैं। उदाहरण के लिए, पीला रंग बृहस्पति, हरा रंग बुध, गुलाबी रंग सूर्य इत्यादि से संबंधित होता है।

हमारे शरीर में इन्हीं किरणों की कमी या अधिकता हमारे जीवन पर शुभाशुभ प्रभाव डालती हैं। जिसका उपचार हम पाठ – पूजन, उपाय, रत्नों के माध्यम से करते हैं। अतः ग्रहों का ही हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

इस धरती पर जन्म होता है ना तब उस समय विशेष पर जो ग्रह जिस स्थान पर स्थित है उसको किसी कैमरे द्वारा फ़ोटो लिए जाने के समान स्टिल कैप्चर करके रख लिया जाता है और यही होती है एक व्यक्ति की जन्म कुण्डली।

इसी जन्म कुण्डली के आधर पर फिर उस व्यक्ति का पूरा जीवन जैसे विद्या-धन-विवाह-संतान-बुढापा-मृत्यु और पुनर्जन्म के विषय में आराम से जाना जा सकता है।

वास्तव में ग्रह नक्षत्र मनुष्य को प्रभावित करते हैं, कहते हैं कि

कर्म करने से भाग्य भी आपका साथ देता है। जिससे आप अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो पाते हैं।
परंतु यदि भाग्य का साथ न मिले तो क्या होगा ? ऐसी स्थिति में आपको कर्म के बल पर ही सब कुछ हासिल करना होगा।
कर्म के बल पर सफलता हासिल करने वाले लाखों लोग जद्दोजहद कर रहे हैं, टीवी ज़ी न्यूज़ पर बताया गया कि हर साल लगभग 17 लाख लोग डॉक्टर बनने की नीट (NEET) परीक्षा देते हैं जिसमें केवल 70000 के आसपास ही सीट हैं, तो बताइए कर्म तो सभी 17 लाख लोग कर रहे हैं केवल 70000 का चयन क्यों होता है ?
जिनका चयन हुआ उन्हें होशियार एवं बाकी विद्यार्थियों को मूर्ख मत कहिएगा

बाकी 16 लाख 30 हजार का क्या ? क्या बाकी लोग कर्म नहीं कर रहे हैं या बाकी लोगों में कमियां हैं ? बाकी लोगों ने भी खूब मेहनत करी है, दिन और रात एक किया है लेकिन उनका भाग्य उन 70000 लोगों से कमजोर था !

ग्रह हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। हमारी खुशी और दुख दोनों के लिए यह जिम्मेदार होते हैं। मनुष्य जब जन्म लेता है तभी से ग्रहों की स्थिति उसके जीवन पर प्रभाव डालना शुरु कर देती है। ज्योतिषाचार्य जन्म कुंडली में इन्हीं ग्रहों की स्थिति देखकर मनुष्य का स्वभाव, कद-काठी और उसके भविष्य के बारे में पता लगाते हैं।

ऋण मुक्ति, डिप्रेशन, अनजान भय, आर्थिक रूप से सक्षम होने के उपाय, जीवन में उन्नति भाग्य का साथ

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